जीवन के क्षितिज पर
गहरे, स्याह, लाल और पीले रंग में
नयी रोशनी की तरह
दिखाई देते हो,तुम ही तो हो.
जीवन के एकांत और अंधेरी रात में
आकाश में चाँदनी लिए
जो देता है,जीवन को शीतलता.
चाँद, तुम ही तो हो
जीवन के नव-दिवस पर
आगे बढ़ने की प्रेरणा देते
अप्रतिम रोशनी बिखेरते
सूरज, तुम ही तो हो.
नमस्ते...सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो...!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
27 अगस्त को लखनऊ में हिन्दी साहित्य परिकल्पना सम्मान सारोह आयोजित हो रहा है। समय 10 बजे से शाम 6 बजे तक।
यह सम्मान 27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृहस कैसरबाग लखनऊ मे आयोजित होगा।
आप भी आइए न!
प्रणाम
ReplyDeleteआभार !!!!!!
राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, लखनऊ में था तो अक्सर जाता था, वहां एक बार लखनऊ महोत्सव काव्य गोष्ठी भी हुआ था. नाटक और कथक का मंचन भी होता रहा है.
तो आप आ रहे हैं ना!
ReplyDeleteमुझे मेल कीजिए!
सहज/सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteप्रणाम
Deleteआभार !!!!!
आप आदरणीय लोगों का आशीर्वाद और प्रेम साथ है,
ReplyDeleteकवितायेँ मन के गहरे अस्तर से आती रहेंगी.