Monday, 8 February 2016

चलो फिर

चलो फिर नींद से सूरज को जगाया जाये,
चलो फिर से एक नया उजाला लाया जाये।
चलो की ख़्वाब की धरती और हक़ीक़त के पाँव है,
चलो की आसमान छूने की मंज़िल उस ठांव है।
चलो की रोशनी उजाले पर सबका ही हक़ है,
चलो की ज़िंदगी का नाम चलना है, जब तक है।
चलो की जानना है, खुद को और खुदा को भी,
चलो की कर रहा है, इंतज़ार वो भी तो बरसों से।