Monday, 5 May 2014

फ़ुर्सत में कहां हूं मैं


मैं समंदर हूं कि हवा हूं मैं;
नहीं हूं खुद में तो कहाँ हूं मैं|

लम्हें वो जिनको ज़ी नहीं पाया;
उन ही लम्हों को जोड़ता हूँ मैं|

सांस बिखरी हों या तेरी यादें;
एक तड़फ़ है जो ज़ी रहा हूं मैं|

एक अरसा हुआ देखे तुझको;
अरसा पहले ये पल जिया हूं मैं|

मिलना फ़ुर्सत से सफ़र के बाद;
'मुसाफिर' हूं फ़ुर्सत में कहां हूं मैं|

Saturday, 3 May 2014

कुछ साँसों को जिंदगी से अलग कर दूं


चाहता हूं कुछ साँसें अपनी जिंदगी से अलग कर दूं
वो जो तुम्हारी यादों के साथ ली थी मैं ने
और जिनके साथ घुली हवा मेरे रक्त में समा गयी
जो मेरे रक्त के साथ सीने से होते हुए
मेरे दिल और दिमाग़ में अपनी जगह बना चुकी है
और जिसने तुम्हारे यादों का असर और गहरा कर दिया है
मैं चाहता हूं तुम्हारी याद का हर असर ख़त्म कर दूं
मैं चाहता हूं कुछ साँसों को अपनी जिंदगी से अलग कर दूं