Saturday, 30 November 2013
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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
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अभिभूत हूँ उस प्रेम से, जो घटित हुआ एक पल में, और जीवंत रहेगा, सदियों तक। एक अपरिचित का प्रेम, उस के पलकों के कोरों पर रुके, अश्रु के...
बहुत बहुत आभार !!
ReplyDeleteआपके अहसास ने मुझे बहुत प्रभावित किया ...जितनी छोटी उतनी ही भावभरी ....बधाई ज्ञानेंद्र जी !
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