Saturday, 30 November 2013

एहसास


जब भी एहसास इतने गहरे हुए 
कि ज़ुबान बयाँ न कर सके 
मुझे मेरा मौन अच्छा लगा
लहरों की आवाज़ और पंछी की चहक अच्छी लगी
और लगा की खुद के होने के अहम से
कहीं अच्छा है, खुद के न होने  का एहसास